Yudhishthira Worships the Sun

Yudhishthira Worships the Sun

जब अनेक इन्द्रप्रस्थवासियों ने पाण्डवों के साथ वन में रहने का निश्चय किया तब युधिष्ठिर ने अपने पुरोहित धौम्य ऋषि से बिना राजसी वैभव के इतने सारे लोगों का भरण-पोषण करने का उपाय पूछा तब उन्होंने सूर्यदेव के १०८ नामों वाले इस स्त्रोत्र से उनकी उपासना करने का सुझाव दिया। धौम्य ऋषि की बात मानकर सूर्यदेव की स्तुति करने कर युधिष्ठिर को उसे अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई।

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